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नैनीताल: कुमाऊं विवी में सौर ऊर्जा उत्पादन की दिशा में नवाचारात्मक पहल! ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर एक सुदृढ़ कदम

  • Tapas Vishwas
  • June 11, 2025 11:06 AM
Nainital: Innovative initiative towards solar energy production in Kumaon University! A strong step towards energy self-sufficiency

कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल ने नवोन्मेषी ऊर्जा रणनीति के अंतर्गत एक व्यापक सौर ऊर्जा परियोजना की स्थापना की है, जो हरित ऊर्जा की दिशा में विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता का परिचायक है। उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) के सहयोग से यह परियोजना विभिन्न विभागीय भवनों की छतों पर रूफटॉप सोलर पैनलों की स्थापना के माध्यम से क्रियान्वित की गई है। वर्तमान में विश्वविद्यालय परिसर में लगभग 788 किलोवाट विद्युत उत्पादन की सौर क्षमता स्थापित की जा चुकी है।

इस परियोजना के अंतर्गत प्रशासनिक भवन (150 किलोवाट), हरमिटेज भवन (152किलोवाट), डी.एस.बी. परिसर (393 किलोवाट), भूविज्ञान विभाग (40 किलोवाट), नैनो साइंस विभाग (25 किलोवाट), तथा रसायन विभाग (20 किलोवाट) में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं। एक सामान्य सोलर यूनिट द्वारा औसतन 500 वॉट विद्युत उत्पादन होता है। इस प्रकार, केवल 150 किलोवाट क्षमता के लिए लगभग 300 पैनलों की आवश्यकता होती है। उत्पादित विद्युत को ग्रिड के माध्यम से विद्युत विभाग को प्रेषित किया जाता है, जिससे सतत ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित होती है। साथ ही, विभागीय खपत के आधार पर विश्वविद्यालय को विद्युत बिल में नियमानुसार समुचित छूट प्राप्त होती है। यह प्रणाली न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि विश्वविद्यालय को दीर्घकालिक ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी अग्रसर करती है। इस अभिनव पहल के मूल में कुमाऊँ विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर दिवान एस. रावत का दूरदर्शी एवं नवाचारी नेतृत्व है। प्रो. रावत की प्रेरणादायी सोच, प्रशासनिक सक्रियता एवं पर्यावरणीय संवेदनशीलता ने इस महत्त्वपूर्ण परियोजना को साकार रूप दिया। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय परिसर अब न केवल स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का केंद्र बनेगा बल्कि यह मॉडल शैक्षणिक संस्थानों हेतु अनुकरणीय उदाहरण भी प्रस्तुत करेगा। प्रो.रावत ने कही कि इस परियोजना से न केवल संस्थान के ऊर्जा व्यय में दीर्घकालीन कमी आएगी, बल्कि यह पर्यावरणीय संरक्षण एवं टिकाऊ विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति में भी सहायक सिद्ध होगी। यह पहल उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका को ऊर्जा एवं पर्यावरणीय नीति निर्माण में एक सशक्त भागीदार के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।


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