गोपाष्टमी पर्वः किच्छा के गोलोक धाम में हुआ कार्यक्रम! सेवा कर लिया गौ संरक्षण का लिया संकल्प, जानें क्या है कथा
रुद्रपुर। शनिवार 9 नवंबर को गोपाष्टमी का पर्व आस्था के साथ मनाया गया। इस दौरान कनकपुर किच्छा स्थित गोलोक धाम गौशाला में कार्यक्रम आयोजित कर भारतीय किसान संघ ऊधम सिंह नगर द्वारा पर्व मनाया गया। इस दौरान गौ सेवा की गयी और गौ संरक्षण का संकल्प लिया गया। बता दें कि गोपाष्टमी के पर्व पर भगवान कृष्ण और गायों की पूजा होती है। मान्यता है कि गोपाष्टमी पर गाय की पूजा उपासना करने से 33 कोटि देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन से भगवान कृष्ण ने गाय को चराना शुरू कर दिया था, इससे पहले वे केवल गाय के बछड़ों को ही चराया करते थे। इसी उपलक्ष्य में मथुरा वृंदावन समेत कई जगह इस पर्व को मनाया जाता है। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि गोपाष्टमी गायों की पूजा को समर्पित और उनके प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रदर्शित करने का त्योहार है। इस मौके पर भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष कृष्ण कांधा तिवारी, सुधीर शाही, सुरेन्द्र गाबा आदि मौजूद रहे।
गोपाष्टमी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान कृष्ण 6 वर्ष के थे, तब उन्होंने माता यशोदा से कहा कि मां मैं अब बड़ा हो गया हूं इसलिए अब मैं बछड़ों के साथ गाय को भी चराने जाउंगा। तब मैया यशोदा ने कहा कि इसके लिए तुम अपने बाबा से बात करो। बाल गोपाल तुरंत नंद बाबा के पास गए और गाय चराने को कहा। लेकिन नंद बाबा ने मना कर दिया कि तुम अभी काफी छोटे हो, अभी केवल बछड़ों को ही चराओ। लेकिन बाल गोपाल अड़े रहे, तब नंद बाबा ने कहा कि जाओ पंडितजी को बुला लाओ। बाल गोपाल भागे भागे पंडितजी को बुला लाए। पंडितजी ने पंचांग देखा और उंगलियों पर गणना करने लगे। काफी देर तक जब पंडितजी ने कुछ नहीं कहा तब नंद बाबा बोले आखिर हुआ क्या है? पंडितजी आप काफी देर से कुछ बोल नहीं रहे हैं। पंडितजी बोले गायों को चराने का मुहूर्त आज ही बन रहा है, इसके बाद पूरे साल तक कोई मुहूर्त नहीं है। पंडितजी के बात सुनकर बाल गोपाल तुरंत गायों को चराने के लिए निकल पड़े। बाल गोपाल ने जिस दिन से गायों को चराना शुरू कर दिया था, उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थे इसलिए पूरे ब्रज में इस दिन गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है और गौ वंश की पूजा की जाती है।