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उत्तराखंड में कम मतदान में भी भाजपा आश्वस्त! पांचों सीटों पर किया जीत का दावा

  • Tapas Vishwas
  • April 21, 2024 11:04 AM
BJP confident even in low turnout in Uttarakhand! Claimed victory on all five seats

उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर पिछले चुनावों से कम मतदान के बावजूद प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। सीएम के बाद अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने पांचों सीट जीतने का दावा किया है। पार्टी का कहना है कि चुनाव के दौरान भाजपा का कार्यकर्ता घरों से बाहर निकलकर मतदेय स्थलों तक मतदान करने पहुंचा, लेकिन कांग्रेस व अन्य दलों का कार्यकर्ता उदासीन रहा और घर से बाहर नहीं निकला, लेकिन पार्टी कम मतदान को गंभीरता से लिया है। प्रदेश अध्यक्ष भट्ट के मुताबिक, पार्टी कम हुए मतदान के कारणों की समीक्षा करेगी। प्रदेश की पांचों सीटों पर 55.89 प्रतिशत मतदान हुआ। सर्विस मतदाताओं को शामिल करने के बाद इसके एक से दो फीसदी बढ़ने की संभावना है। इसके बावजूद यह पिछले दो लोकसभा चुनाव में हुए मतदान से कम रहेगा। 2014 के लोकसभा चुनाव में 61.67 प्रतिशत मतदान रहा था। 2019 लोस चुनाव में यह 61.88 तक पहुंचा। 2024 में इसे बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का लक्ष्य चुनाव आयोग ने रखा था। लेकिन, यह घटकर 56 प्रतिशत के आसपास रह गया।

चुनाव की मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कम मतदान के बावजूद अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही है। भाजपा का कहना है कि मतदान बेशक कम रहा हो, लेकिन उनकी पार्टी से जुड़ा वोटर ने मतदान किया। पार्टी अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। उनके मुताबिक, कांग्रेस और अन्य दलों के कार्यकर्ता और समर्थक उदासीन रहे और वोट देने के लिए घरों से बाहर नहीं निकले, जबकि भाजपा समर्थक मतदाता मतदान केंद्रों तक पहुंचा। भाजपा ने प्रदेश में मतदान कम होने के तीन प्रमुख कारण बताए। उनका कहना है कि इस बार मतदाताओं के दो-दो जगह नाम दर्ज थे, इसलिए जिन लोगों के नाम देहरादून या अन्य स्थानों पर दर्ज थे, वे वोट डालने गांव में नहीं आए। उनके खुद के गांव में 332 मतदाता हैं, लेकिन गांव में 134 लोग ही रहे। कम मतदान की दूसरी वजह उन्होंने मतदान वाले दिन प्रदेश में भर में सैकड़ों की संख्या में शादियों को बताया। कहा, विवाह का बहुत बड़ी सहालग होने की वजह से हजारों की संख्या में मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाए। उन्होंने तीसरा कारण चुनाव में उतरे अन्य दलों के प्रत्याशियों के समर्थक मतदाताओं का मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच पाना बताया। कहा, कई दलों ने अपने प्रत्याशी तो मैदान में उतार दिए, लेकिन उनके समर्थन मतदाता घरों से बाहर नहीं निकले। कांग्रेस के कार्यकर्ता भी उदासीन रहे। इसका नतीजा यह रहा कि मतदान प्रतिशत बढ़ने के बजाय कम हो गया।

प्रदेश में हुए कम मतदान की अब पार्टी स्तर पर समीक्षा होगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के मुताबिक, पार्टी की ओर से मतदान बढ़ाने के प्रयास किए गए थे, लेकिन मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी क्यों नहीं हुई, इसकी तह में जाया जाएगा। 23 हारी हुई विधानसभा क्षेत्रों में मतदान कुछ बढ़ा है। इसके लिए पार्टी ने विशेष कार्ययोजना बनाई थी। मतदान से ठीक एक दिन पहले भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी दुष्यंत गौतम ने यह दावा किया था कि पार्टी सभी पांचों सीटों में 25-30 लाख के अंतर से जीतेगी। भाजपा ने हर सीट पर पांच लाख के अंतर से जीत दर्ज करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। इसके लिए पार्टी पिछले कई महीनों से विशेष अभियान चला रही थी ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग मतदान केंद्रों तक पहुंचे। इसके लिए पार्टी ने नवमतदाता सम्मेलन, घर-घर संपर्क अभियान और मैं भी हूं पन्ना प्रमुख अभियान चलाया। पार्टी 2022 के विस चुनाव से ही हर बूथ हो मजबूत का नारा बुलंद करती आई है। इसके लिए पार्टी पन्ना प्रमुख की योजना बनाई जिसमें सीएम से लेकर आम कार्यकर्ता को अपने-अपने बूथ पर 30-30 मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन कम मतदान प्रतिशत के बाद अब यह सवाल उठ रहा कि वे पन्ना प्रमुख कहां गए? सियासी जानकारों का मानना है कि पन्ना प्रमुख दम दिखाते तो वोटों की झड़ी लग जाती।
 


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