देहरादून पुलिस ने खास अंदाज में मनाई दीपावली, बुजुर्गों के साथ जलाए दीपक

देहरादून। देश भर में दीपावली की धूम है, दो दिन दीपावली होने की वजह से चारों तरफ जगमगाती लाइटों के साथ लोगों के चेहरे पर भी खुशी है। हर कोई अपने परिवार के साथ दीपावली मना रहा है, लेकिन राजधानी देहरादून में पुलिस के द्वारा मनाई गई दीपावली बेहद खास रही। देहरादून पुलिस कप्तान अजय सिंह के निर्देशों पर शहर के अलग-अलग इलाकों में पुलिसकर्मी अकेले घर में मौजूद बुजुर्गों के साथ दीपावली मनाते हुए दिखाई दिए। पुलिसकर्मियों का कहना है जिनके परिवार किसी कारणवश उनके पास मौजूद नहीं होते हैं, इस संवेदनशील पहलू को समझते हुए, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून के निर्देश पर दून पुलिस ने इस दीपावली को खास बनाने की एक सराहनीय पहल की।
पुलिसकर्मियों की टीम ने जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में अकेले रह रहे सीनियर सिटीजन के घर जाकर उनसे भेंट की। इस दौरान पुलिस कर्मियों ने आदरपूर्वक उनका हालचाल पूछा और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं दी। दून पुलिस परिवार की ओर से बुजुर्गों को फल और मिष्ठान भेंट किए गए। जिससे उनके चेहरों पर मुस्कान खिल उठी। पुलिसकर्मियों के इस अपनत्व भरे व्यवहार से भावुक हुए कई बुजुर्गों ने उन्हें आशीर्वाद दिया और प्यार से उनके सिर पर हाथ फेरा। एसएसपी देहरादून अजय सिंह ने सभी थाना कोतवाली प्रभारियों को निर्देश दिए थे कि वे अपने-अपने क्षेत्र में रहने वाले सीनियर सिटीजन का हालचाल जानें और यह सुनिश्चित करें कि त्योहारों के अवसर पर कोई भी बुजुर्ग अपने आपको अकेला महसूस ना करे। इस निर्देश के तहत दून पुलिस ने मानवता और संवेदनशीलता की मिसाल कायम की। पुलिस अधिकारियों ने इस अवसर पर कहा कि दून पुलिस केवल कानून-व्यवस्था की रखवाली करने वाला बल नहीं है, बल्कि समाज का अभिन्न अंग भी है। बुजुर्ग हमारे अनुभव संस्कार और परंपरा की जड़ें हैं, उनका स्नेह और आशीर्वाद ही हमें शक्ति देता है। अजय सिंह ने कहा दून पुलिस की इस पहल से बुजुर्गों के मन में सुरक्षा और आत्मीयता की भावना और गहरी हुई। उन्होंने कहा कि दीपावली का यह पर्व उनके लिए वास्तव में रोशनी लेकर आया. क्योंकि पुलिस ने न केवल उनके घर के दीप जलाए। बल्कि उनके मनों में भी विश्वास की लौ प्रज्ज्वलित की। इस तरह दून पुलिस ने यह संदेश दिया कि सच्ची सेवा केवल वर्दी में नहीं, बल्कि संवेदनशील हृदय में बसती है और जब समाज का हर वर्ग एक-दूसरे के साथ खड़ा होता है, तभी दीपावली का असली अर्थ साकार होता है।