रुद्रप्रयागः नये महाविद्यालय भवन में सुविधाओं का अभाव! छात्राओं ने गिनाई समस्याएं, जंगली रास्ते से होकर पहुंच रही कॉलेज

रुद्रप्रयाग। राजकीय महाविद्यालय रुद्रप्रयाग को अपना भवन मिलने के बाद छात्रों में खुशी कम और गम ज्यादा देखने को मिल रहा है। छात्राएं जहां आने-जाने में असुरक्षा महसूस कर रही हैं, वहीं उन्हें महाविद्यालय में पानी और कैंटीन की सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। जबकि शिक्षकों के साथ ही भवन में बैठने के लिए भी उचित व्यवस्था नहीं है। महाविद्यालय में समस्याएं होने से छात्र दुखी नजर आ रहे हैं। बता दें कि बीते दस सितम्बर को रुद्रप्रयाग महाविद्यालय रुद्रप्रयाग को शहर से सात किमी दूर जवाड़ी भरदार के चोपड़ा तोक में अपना भवन मिल गया, जिससे छात्रों में जहां खुशी देखने को मिलनी चाहिए थी, वहीं उन्हें भारी मुसीबतों का सामना करके महाविद्यालय पहुंचना पड़ रहा है। महाविद्यालय की छात्राएं कोटली-बांसी मोटरमार्ग के रास्ते को खतरनाक बता रही हैं। उनकी माने तो यह रास्ता जंगल का रास्ता है और यहां रेलवे में काम कर रहे मजदूर-कर्मचारी आते-जाते समय गंदी नजरों से देख रहे हैं, जिससे उन्हें अच्छा नहीं लग रहा है और वे खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। छात्राएं महाविद्यालय शिफ्ट होने से खुशी नहीं जता रही हैं, बल्कि कैंटीन और पानी की सुविधा नहीं मिलने से भी परेशान हैं। उनका कहना है कि बिना आरटीओ पास के मार्ग से होकर गुजरना पड़ रहा है। रास्ता भी बेहद खराब है। आने-जाने में दुर्घटना का भी डर बना रहता है। सबसे ज्यादा समस्या बिना कैंटीन के हो रही है। छात्र-छात्राएं भी बिना खाए पहुंच रही हैं तो उन्हें भूख में ही पठन-पाठन करना पड़ रहा है।
बता दें कि भरदार, रानीगढ़, धनपुर, दशज्यूला पट्टी के छात्र-छात्राएं महाविद्यालय में अध्ययन करने को आते हैं और महाविद्यालय में 75 प्रतिशत छात्राएं और 25 प्रतिशत छात्र हैं। महाविद्यालय में छात्रों की संख्या 350 से ज्यादा है। दो करोड़ की लागत से बने महाविद्यालय में समस्याओं का अम्बार है। राजकीय महाविद्यालय का जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर स्थानांतरित होना विद्यार्थियों के लिए गंभीर समस्या बन गई है। यहां तक पहुंचने के लिए न तो पर्याप्त परिवहन साधन उपलब्ध हैं और न ही कोई सुगम व्यवस्था है। रोज़ाना आने-जाने में छात्रों का समय, ऊर्जा और धन दोनों व्यर्थ हो रहे हैं। इसके साथ ही महाविद्यालय परिसर में पानी की समस्या भी बनी हुई है। जब बुनियादी सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं होंगी तो विद्यार्थियों को पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना कठिन हो रहा है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इस महाविद्यालय में दूरस्थ क्षेत्रों से ऐसे बच्चे भी पढ़ने आते हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। उन्हें हर रोज़ अतिरिक्त किरायाए भोजन और समय का बोझ उठाना पड़ रहा है। उनकी पढ़ाई के साथ.साथ उनके परिवार की आर्थिक हालत पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यदि सरकार और प्रशासन ने शीघ्र ही परिवहन, पेयजल और बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था नहीं की तो यह महाविद्यालय ग्रामीण और सामान्य वर्ग के बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने में असफल हो जाएगा। ऐसे में इसके लिए समय रहते उचित कदम उठाने की जरूरत है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता और विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित रह सके।
19 साल बाद मिला महाविद्यालय, मगर छात्रों में नहीं कोई खुशी
वर्ष 2006 में राजकीय महाविद्यालय रुद्रप्रयाग के अस्तित्व में आने के बाद रैंतोली स्थित आईटीआई भवन के चार कमरों में संचालन किया गया। मात्र यहां बीबीए व बीसीए की कक्षाओं का संचालन को ही अनुमति मिली थी। यहां पर पर्याप्त स्थान न होने से बीए व बीएससी की कक्षाओं का संचालन नहीं हो सका था। लगभग 10 वर्षो तक रैंतोली में रहने के बाद वर्ष 2016 में महाविद्यालय को राबाइंका रुद्रप्रयाग के पुराने भवन में शिफ्ट किया गया और 19 वर्षो बाद बीते दस सितम्बर को राजकीय महाविद्यालय रुद्रप्रयाग अपने नवनिर्मित परिसर चोपड़ा तोक में स्थानांतरित हुआ। महाविद्यालय शिफ्ट होने के बाद जहां छात्रों में खुशी देखने को मिलनी चाहिए थी, वहीं छात्रों में खुशी कहीं भी नजर नहीं आ रही है, बल्कि गम ही गम उनकी आंखों में देखने को मिल रहा है। छात्रा सरिता बिष्ट, कुमकुम ने बताया कि रुद्रप्रयाग शहर से कोटली-बांसी मोटरमार्ग पर जवाड़ी के चोपड़ा तोक में बनाए गए महाविद्यालय पहुंचने में समय लग रहा है। पहले ग्रामीण इलाकांं से शहर में पहुंचना पड़ता है। फिर वाहन का इंतजार करना पड़ता है और यहां रास्ते में रेलवे परियोजना में कार्य कर रहे मजदूर-कर्मचारियों की गंदी नजरे रहती हैं। ऐसे में उन्हें असुरक्षा महसूस होती है। छात्रा अनुष्का बंगारी, दीपिका बिष्ट, मेघा नेगी, अमीषा, मानसी, आरती ने कहा कि महाविद्यालय में शिक्षक भी नहीं हैं तो पानी और कैंटीन की कोई सुविधा नहीं है। छात्रों की समस्याओं का जल्द समाधान किया जाना चाहिए।