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उत्तराखण्डः मानसून सत्र के दिनों में बढ़ोत्तरी की मांग! नेता प्रतिपक्ष आर्य ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

  • Awaaz Desk
  • August 20, 2024 10:08 AM
Uttarakhand: Demand for increase in days during monsoon session! Leader of opposition Arya raised questions on the intentions of the government

देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि कांग्रेस नियमों और परम्परा के विपरीत सरकार द्वारा साल भर में विधानसभा के सत्रों को कम दिन चलाने का विरोध करते हुए मानसून सत्र के काल को बढ़ाने की मांग करती है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली के अनुसार साल में आहूत होने वाले विधानसभा के तीन सत्रों को मिलाकर कम से कम 60 दिन चलाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ सालों से सरकार साल भर में कुल मिलाकर 15 दिन भी विधानसभा का सत्र नहीं चला रही है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गत सालों की भांति इस साल भी अभी तक विधानसभा के सत्र नाम मात्र के लिए चले हैं इन दिनों में शोक वाले दिन भी सम्मलित होते है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विधानसभा के जिन कार्य दिवसों में शोक प्रस्ताव पर चर्चा होती है उस दिन अन्य कोई कार्य नहीं होता है। यशपाल आर्य ने बताया कि गत साल भी विधानसभा के सभी सत्र केवल 8-10 दिन चले थे। कहा कि सरकार हर बार बिजनेस न होने का हास्यास्पद तर्क देती है। जबकि राज्य में अभी भी उत्तर प्रदेश के सैकड़ों कानून चल रहे हैं सरकार में इच्छा शक्ति होती तो राज्य की परिस्थितियों के अनुसार विधानसभा में कानून बनाती। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य में यही विधायी कार्य तो हाउस का बिजनेस होता है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य के हजारों युवा उपनल सहित कई योजनाओं में सालों से अस्थायी सेवा कर रहे हैं। सरकार उनके लिए स्थायीकरण नीति जैसे कही विषयों को विधानसभा में लाकर विधानसभा में बिजनेस बड़ा सकती है। नेता प्रतिपक्ष आर्य ने आरोप लगाया कि सरकार को राज्य और राज्य के निवासियों के हितों की कोई परवाह नहीं है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बार भी कांग्रेस सकारात्मक राजनीति करते हुए जनमुद्दों को उठाएगी। कांग्रेस राज्य में बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई, चारधाम यात्रा व्यवस्था में सरकार की नाकामी, आपदा, चौपट क़ानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार, लगातार बढ़ रही दुर्घटनाओं के कारण जन’धन की हानि जैसे ज्वलंत मुद्दों के प्रति सरकार का ध्यान आकर्षित करना था। लेकिन प्रभावी रूप से केवल दो दिन चलने वाले सत्र में इतने मुद्दों को उठाना संभव नही है। 


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