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रुद्रपुर में 500 करोड़ का भूमि घोटाला उजागर, हाईकोर्ट ने मॉल निर्माण व भूमि खरीद-फरोख्त पर लगाई रोक

  • Awaaz Desk
  • November 19, 2025 05:11 PM
A ₹500 crore land scam has been uncovered in Rudrapur, with the High Court imposing a stay on the construction of a mall and the sale and purchase of land.

रुद्रपुर। रुद्रपुर के किच्छा बाईपास रोड स्थित चार एकड़ से ज्यादा सरकारी तालाब की भूमि को अवैध रूप से फ्री-होल्ड कराकर 500 करोड़ रुपये की लागत से मॉल का निर्माण कराने की साजिश बेनकाब हो गई है। इस पूरे घोटाले का पर्दाफाश कुछ दिन पूर्व आरटीआई कार्यकर्ता पूर्व सभासद रामबाबू द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया गया था। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मॉल निर्माण में रोक लगा दी है। मामले के अनुसार रुद्रपुर के किच्छा बाईपास रोड के पास राजस्व ग्राम लमरा खसरा नंबर 02 में स्थित 4.07 एकड़ सरकारी तालाब की भूमि जो कि जलमग्न, गड्ढेनुमा और वैगुल नदी की जद में होने के कारण रुद्रपुर की महायोजना में “जलमग्न खुला क्षेत्र” के रूप में दर्ज है जिसका फ्री-होल्ड करना और कमर्शियल उपयोग करना पूर्णतः प्रतिबंधित है। इसके बावजूद वर्ष 1988 में यह भूमि केवल दो वर्षों के लिए मछली पालन हेतु नीलाम की गई। पांच बोलीदाताओं ने 3,07,000 रुपये की बोली लगाई, लेकिन उन्होंने न तो कोई लिखित सहमति दी और न ही भूमि की लीज डीड स्वीकृत हुई। नतीजा कानूनी रूप से लीज कभी अस्तित्व में आई ही नहीं। इसके बावजूद वर्ष 1995 में बोलीदाताओं ने भ्रामक तथ्यों के आधार पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से स्टे प्राप्त कर लिया। जबकि मौके पर भूमि आज भी खाली है जो कि इनके फर्जीवाड़े का पुख्ता प्रमाण है। नीलामी के 17 वर्ष बाद वर्ष 2005 में बोलीदाता महेन्द्र छाबड़ा ने शपथपत्र लेकर अन्य चार बोलीदाताओं से अपने पक्ष में शपथ पत्र लेकर तत्कालीन सचिव आवास विभाग पी.सी. शर्मा से सांठगांठ कर तीन असंवैधानिक शासनादेश जारी करवाए। जिनके आधार पर वर्ष 2007 में वर्ष 2000 यानि 7 वर्ष पुराने सर्किल रेट पर भूमि को अवैध रूप से महेंद्र छाबड़ा, महेश छाबड़ा, गुलशन छाबड़ा और चरनदास छाबड़ा के नाम पर फ्री-होल्ड कर दिया गया, जबकि भूमि फ्री-होल्ड नहीं की जा सकती थी। जिसके बाद चरनदास छाबड़ा की मृत्यु हो जाने और महेंद्र छाबड़ा के द्वारा पारिवारिक बटवारा किए जाने के उपरांत यह भूमि महेश छाबड़ा और गुलशन छाबड़ा के नाम दर्ज करा दी। वर्ष 2023 में आरटीआई कार्यकर्ता पूर्व सभासद रामबाबू की शिकायत पर शासन ने कार्यवाही करते हुए उक्त प्रकरण की जांच करवाई जिसमें सभी आरोपों की पुष्टि हुई और जांच रिपोर्ट में पाया गया कि आवेदक द्वारा फ्री होल्ड विलेख में रुद्रपुर के किच्छा बाईपास रोड के पास राजस्व ग्राम लमरा खसरा नंबर 02 में स्थित 4.07 एकड़   सरकारी मछली तालाब की भूमि जो कि एक  जलमग्न खुला क्षेत्र” है जिसका फ्री-होल्ड पूर्णतः वर्जित है। साथ ही जांच में आवेदक द्वारा किसी बाहरी व्यक्ति के माध्यम से फ्री होल्ड विलेख में ग्राम लमरा, खसरा 02 को विलुप्त कर अवैध रूप से ग्राम रम्पुरा, खसरा 156 बना दिये जाने की भी पुष्टि हुई। जिसके बाद तत्कालीन जिलाधिकारी युगल किशोर पंत ने शासन को जांच रिपोर्ट भेज दी, लेकिन शासन के अपर सचिव अतर सिंह ने कार्रवाही करने के बजाय जांच रिपोर्ट को प्रभावित करने की नियत से उधम सिंह नगर के निवृतमान जिलाधिकारी उदयराज सिंह को दोबारा जांच करने के लिए  निर्देशित कर दिया और निवर्तमान डीएम उदयराज सिंह जो कि सीएम धामी के काफी करीबी माने जाते हैं उन्होने जांच को तत्कालीन जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट को निरस्त करते हुए मॉल निर्माण पर लगी रोक को हटाते हुए विभागीय अनापत्ति प्रदान कर दी गयी और उसी दिन मॉल निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृत करा दिया। 30 अप्रैल 2025 को गुलशन छाबड़ा और महेश छाबड़ा ने 27.49 वर्गमीटर भूमि बिना भुगतान के रुद्रपुर शहर के प्रमुख व्यवसायी और भाजपा नेता हरीश मुंजाल के बेटे आकाश मुंजाल को रजिस्ट्री कर दी, जबकि रजिस्ट्री में 8 करोड़ 66 लाख का लेनदेन दिखाया गया है जिसका कोई लेन देन हुआ ही नहीं है। जिसके बाद गुलशन छाबड़ा, नीलम छाबड़ा, महेश छाबड़ा, आकाश मुंजाल और सवाना इन्फ्रास्ट्रक्चर ने तालाब की भूमि पर 500 करोड़ की लागत से मॉल बनाने का काम शुरू कर दिया और हिस्से बटवारे को लेकर 03 जुलाई 2025 को आपसी एग्रीमंट भी कर दिया। जिसमें छाबड़ा परिवार 36 प्रतिशत, आकाश मुंजाल 7 प्रतिशत और सवाना इन्फ्रास्ट्रक्चर 58 प्रतिशत के हिस्सेदार रहेंगे और आने वाले समय में शहर का दिल कहे जाने वाले तालाब को मॉल बनाकर हजारों करोड़ में बेचा जाएगा और मुनाफा कमाया जाएगा। इस पूरी डील में मॉल बनाने के सवाना इन्फ्रास्ट्रक्चर जिसने काशीपुर रोड पर एल्डिको पार्क के नाम से एक पॉश कॉलोनी विकसित की है को शामिल किया गया जिसके लिए सवाना इन्फ्रास्ट्रक्चर को 58 प्रतिशत की हिस्सेदारी दी गयी है। शासन-प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारियों ,नेताओं और बिल्डर के इस पूरे षड्यंत्र के खिलाफ पूर्व सभासद रामबाबू ने प्रेस कोन्फ्रेंस करते हुए धामी सरकार से भूमि घोटाले की सीबीआई जांच करने और दोषियों पर कार्रवाही करने की मांग की, लेकिन सरकार की इस मामले में चुप्पी के बाद रामबाबू ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जिसको    हाईकोर्ट ने स्वीकार करते हुए अग्रिम आदेश तक मॉल के निर्माण कार्य एवं भूमि की खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी गयी। रुद्रपुर शहर जिसका दिल कहे जाने वाले तालाब की बेशकीमती भूमि जिसका फ्री होल्ड नहीं किया जा सकता था, लेकिन इस भूमि पर करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार करने की नियत से शासन के सचिव अतर सिंह, निवृतमान डीएम उदयराज सिंह और रुद्रपुर नगर निगम ने शहर के प्रमुख व्यवसायी और बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ा दी। यहां तक की जांच रिपोर्ट को ही निरस्त कर दिया गया। बता दें कि वर्तमान में आईएएस उदयराज सिंह सीएम धामी के काफी करीबी होने की वजह से रिटायरमेंट के बाद भी राजस्व विभाग का अहम पद संभाल रहे हैं। एक कहावत है कि दूध की रखवाली अगर बिल्ली को दे दो तो बिल्ली दूध पी ही जाएगी। ऐसा ही हाल उत्तराखंड का है। यहां की बेशकीमती जमीन और संसाधन नेता, अधिकारी मिलकर लूट रहे हैं और जनता ताली बजा रही है।


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