उत्तराखंड: डीजी दीप्ति सिंह और एडी सेमवाल भ्रष्टाचारी मैडम पर हुए मेहरबान, बदला आदेश, दी मनचाही पोस्टिंग
उत्तराखंड का शिक्षा विभाग जो उत्तराखंड के सामान्य और निर्धन परिवारों के नौनिहालों को शिक्षित करने का एक मात्र सहारा है वहीं इस विभाग में मोटी-मोटी पगार लेने वाले अधिकारियों के भ्रस्टाचार करने का जरिया बन चुका है। जी हां ये बात हम यूं ही नहीं कह रहे हैं, बल्कि नयी नवेली शिक्षा निदेशक बनी दीप्ति सिंह और अभी-अभी प्रमोशन पाए अपर निदेशक शिव प्रसाद सेमवाल की मिलीभगत बयां कर रही है। मामले के अनुसार जीजीआईसी हल्द्वानी की शिक्षिका वंदना चौधरी पर ड्यूटी के दौरान अन्य शिक्षिकाओं से लड़ाई-झगड़ा करने, बैक डेट पर जाकर एटटेनडेन्स रजिस्टर में साइन करने और कर्मचारी आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप लगे थे जिस पर शिक्षा विभाग ने जांच बैठा दी और कई महीनों की जांच के बाद शिक्षा विभाग ने वंदना चौधरी को दोषी पाते हुए 05 सितंबर 2024 को उनका ट्रांसफर हल्द्वानी जीजीआईसी से बागेश्वर के जीजीआईसी दोफाड़ में कर दिया। 6 सितंबर 2024 को जीजीआईसी हल्द्वानी से रिलीव हुई वंदना चौधरी ट्रांसफर रुकवाने के लिए ठीक एक दिन बाद 7 सितंबर 2024 को अल्मोड़ा जिला चिकित्सालय से 42 प्रतिशत का डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट बनवा लाती है और हाई कोर्ट में पिटीशन डाल देती है। हालांकि हाईकोर्ट से वंदना चौधरी को स्टे नहीं मिलता है। आरटीआई में अल्मोड़ा डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से पी. एम. एस डॉ. एच. सी. गड़कोटी और डॉ. प्रमोद मेहता से बनवाया गया मैडम वंदना चौधरी का 42 प्रतिशत डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट फर्जी साबित होता है और मामला प्रकाश में आने के बाद हाईकोर्ट के डर से वंदना चौधरी 18 मार्च 2025 को स्टे के लिए दी गई पिटीशन वापस ले लेती है। फर्जीवाड़े का पर्दाफाश होने के बावजूद मैडम वंदना चौधरी बागेश्वर में जॉइन नहीं करती है और ट्रांसफर आदेश को बदलवाने के लिए शिक्षा मंत्री से लेकर महानिदेशक के चक्कर लगाने लगती है। उत्तराखंड सरकार की 2020 में जारी अधिसूचना के अनुसार सरकारी सेवक अगर एक वर्ष से अधिक अनुपस्थित रहता है तो सेवा से उसका त्यागपत्र स्वतः ही मान लिया जाएगा। शिक्षिका वंदना चौधरी जिसका ट्रांसफर 05 सितंबर 2024 को हुआ और 06 सितंबर 2024 को उसे रिलीव भी कर दिया गया। शिक्षिका वंदना चौधरी ने एक साल से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद भी बागेश्वर दोफाड़ के स्कूल का मुंह तक नहीं देखा, लेकिन महानिदेशक आईएएस दीप्ति सिंह मैडम वंदना चौधरी पर इतनी मेहरबान हैं कि नियमों के विरुद्ध जाकर एक साल पहले हुए प्रशासनिक ट्रांसफर में फेरबदल करने के आदेश जारी कर दिये, जिसके बाद प्रमोशन पर आए शिव प्रसाद सेमवाल ने चार्ज लेते ही 06 नवंबर 2025 को मैडम वंदना चौधरी को रजिस्टर्ड डाक से बागेश्वर दोफाड़ जॉइन करने के लिए आदेश जारी किया, लेकिन वंदना चौधरी ने बागेश्वर दोफाड़ में जॉइन नहीं किया और फिर से जुगाड़ लगाने डीजी दीप्ति सिंह और एडी सेमवाल के पास पहुंच गयी। जिसके बाद महानिदेशक दीप्ति सिंह और अपर निदेशक शिव प्रसाद सेमवाल ने आपसी मिलीभगत करते हुए अपने ही आदेश को बदलते हुए वंदना चौधरी का ट्रांसफर वागेश्वर डोफाड़ के बजाय रानीखेत कर दिया। जबकि नियम में स्पष्ट है कि एक अगर एक वर्ष से अधिक अनुपस्थित रहता है तो सेवा से उसका त्यागपत्र स्वतः ही मान लिया जाएगा। उत्तराखंड की जनता के खून पसीने के टैक्स से लाखों की पगार लेने वाली वंदना चौधरी जैसी शिक्षिकाएं भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पार कर रही हैं और विभाग के अधिकारी मुफ्त का वेतन और मनचाही पोस्टिंग देने के जुगाड़ में लगे हुए हैं, जिससे साबित होता है कि शिक्षा विभाग में अफसरशाही बच्चों को शिक्षित करने के लिए समर्पित नहीं बल्कि भ्रस्ट शिक्षकों की सुरक्षा के लिए वचनबद्ध है।